लेखक: चुन्नीलाल (सामाजिक कार्यकर्ता)
सहयोगी, सलाहकार एवं लेखक,
भारत नव निर्माण (Evolving New India)
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कई बार लोगों के मुंह से, अधिकारीयों के मुंह से, मीडिया के मुंह से, सुप्रीम कोर्ट के मुंह से सुन चुका हूँ कि लोगों का राशन कार्ड जरूर बनना चाहिए। चाहे वो किसी भी जगह पर निवास कर रहें हों। चाहे झुग्गी झोपड़ी में या चाहे महलों में। सभी के पास राशन कार्ड होगा । लेकिन हकीकत इसके बिलकुल विपरीत है और सभी के पास राशन कार्ड है ही नहीं ।
ये बातें सुनकर बड़ी अच्छी लगतीं हैं कि चलो अब आम आदमी का भी राशन कार्ड बन जायेगा । राशन कार्ड बनवाने के लिए किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी । यदि गरीब के पास किसी भी प्रकार का सबूत नहीं होगा पर यदि कोई उसकी पहचान करा देगा तो भी राशन कार्ड बन जाएगा । उसे मकान की रजिस्ट्री, टेलीफोन बिल , पहचान पत्र, पासपोर्ट, लाइसेंस आदि की जरूरत नहीं पड़ेगी । यदि ये सबूत नहीं भी हैं तो भी राशन कार्ड बन सकता है । लेकिन ऐसा है कहीं नहीं । भले ही कोई अमीर बिना राशन कार्ड के ना हो पर गरीब आज भी बिना राशन कार्ड के हैं ।
आपूर्ति विभाग का अपना एक फार्मूला है कि बिना सबूत के राशन कार्ड नहीं बन सकता है । और अगर सबूत भी है तो सालो साल दौड़ने में लग जायेंगे । जब तक आपका राशन कार्ड बनेगा तब तक आप बूढ़े हो जायेंगे । तब राशन कार्ड की नहीं वृद्धावस्था पेंसन की जरूरत होगी और तब भी इसकी कोई गारंटी नहीं कि राशन कार्ड बन जाए । आपूर्ति विभाग से राशन कार्ड एक ही सबूत से बन सकते हैं और वह है घूंस । आपकी हैसियत यदि घूंस देने की है तो जहाँ से चाहो वहां से राशन कार्ड बनवा सकते हो । वह भी बिना सबूत के । चाहे आपूर्ति आफिस से सीधे या फिर वार्ड मेंबर से या फिर ब्रांच आफिस से ।
अब आप इसका एक जीता जागता उदाहरण ले लीजिये - शहर में बसे गरीब, बेघर,बेसहारा, बीमार, कुपोषण व्यक्तियों का इनका अपना कोई पहचान का सबूत नहीं है । बेचारे किसी प्रकार मजदूरी कर के, भिक्षा मांगकर, रिक्शा आदि चलाकर अपना पेट भरते हैं । अगर इनको सस्ता राशन लेना है तो इनके पास राशन कार्ड ही नहीं है । अब अगर यह समस्या लेकर आपूर्ति विभाग के पास जाते हैं तो वहां इनसे कहा जाता है कि - आपका राशन कार्ड तभी बनेगा जब आपके पास मकान, पासपोर्ट, बिजली, पहचान पत्र या फिर प्लाट की रजिस्ट्री के कागज़ हों ।अगर ये चीजें नहीं हैं तो घूंस दीजिये ।
सारी मुसीबत गरीब पर ही क्यूं आती है । पहली बात तो उसके लिए राशन कार्ड बनना मुस्किल है । अगर किसी प्रकार बन भी जाये तो भी वो इस पर अपना अधिकार नहीं मांग सकते । अगर अधिकार की बात करेंगे तो उन्हें बान्गलादेसी या दूसरे जगह के बासिन्दे होने का आरोप लगा कर राशन कार्ड कैंसिल करने की धमकी दी जाती है । जैसा की पिछले साल जनवरी 2009 में हुआ । बड़े कड़ाके की ठण्ड थी । मैंने सोचा चलो जिलाधिकारी महोदय से गरीब वर्ग के लिए कुछ गर्म कम्बलों की मांग की जाये । अगर किसी गरीब को एक गर्म कम्बल भी मिल जाये तो ठण्ड से थोड़ी रहत तो मिलेगी । बड़ी आशा के साथ जिलाधिकारी महोदय से विनय अनुनय की गयी। जैसे ही उनको इन गरीब झुग्गी झोपड़ी वालों के बारें में बताया गया तो कम्बल तो दूर, इन्हें हटाने के साथ-साथ राशन कार्ड कैंसिल करने के आदेश देने की धमकी दे दी । ये तो वही बात हुई- आये थे हरी भजन को, ओटन लगे कपाश ।
गरीब के नाम से लोगों को बड़ी जलन है। भाई अगर किसी प्रकार गरीब का राशनकार्ड बन जायेगा तो कम से कम उसे सस्ती दर पर राशन मिलेगा। जिससे वह एक समय तो भर पेट खाना खायेगा। भूंख से तो नहीं मरेगा। वह भी लोग नहीं चाहते, खासतौर पर सरकार । ठीक इसके उल्टा यदि आप किसी सरकारी राशन की दुकान पर चले जायिए तो पायेंगे कि कोटेदार साहब के पास इतने राशनकार्ड हैं जितने कि परिवार भी नहीं आते उस एरिया में। और सबसे मजे की बात यह है कि जिनके लिए यह राशन की दुकान यानी कोटा खुला है उनके पास तो राशन कार्ड ही नहीं है तो उन्हें सस्ता राशन देने की कोई जरूरत ही नहीं है। अब इससे बुरा क्या होगा की आपूर्ति विभाग अपनी खानापूर्ति तो पूरी करता है कि हर महीने गरीबों के नाम पर कोटेदार को राशन की सप्लाई कर देता है और कोटेदार साहब यह राशन प्राइवेट दुकानों को सप्लाई कर देते हैं । इस तरह सब मलाई काटते हैं ।गरीब के राशन लेने पर सबको परेशानी होती है ।लेकिन जब वही राशन को कोटेदार ब्लैक करता है तो किसी के कानों में जूँ तक नहीं रेगती ।अब बतायिये राशनकार्ड किसके लिए जरूरी है और पहले किसको ?
*Photo by: Dinesh Chandra Varshney for bharat nav nirman only