Monday, February 1, 2010

बी.आर.जी.एफ. अधूरा बिना जानकारी और लोगों की सहभागिता के


लेखक: चुन्नीलाल जी,
सहयोगी, सलाहकार एवं लेखक,
भारत नव निर्माण (Evolving New India)
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केंद्र सरकार ने तो बड़ी- बड़ी कोशिशें कीं कि हमारे देश में विकास हो। कोई भी जिला पिछड़े क्षेत्र में ना गिना जाये । कोई भी गली- मोहल्ला कीचड़ भरा ना रहे । कोई भी किसान भूख से ना मरे । कोई भी खेती ना सूखे । कोई भी आदमी प्यासा ना रहे । सभी गाँव मोहल्ले नगर शहरों से पक्की रोड द्वारा जुड़ें । लोगों को आने जाने में कोई असुविधा ना हो। प्रत्येक परिवार को बिजली आदि की सुविधा मिल सके। किसी भी योजना का निर्माण करने में लोगों की सहभागिता ली जाए। इसके लिए यदि किसी प्रकार से पैसे की कमी आती है तो वह पैसा बी.आर.जी.एफ. यानी पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष से लिया जा सकता । शायद यही मकसद था बी.आर.जी.एफ. का ।

लेकिन पूरा का पूरा पैसा विकाश के नाम पर बी.आर.जी.एफ. से ही खर्च किया जा रहा है । उसके लिए ना कोई मानक है और ना कोई कार्यों की प्राथमिकता । और तो और इसकी जानकारी सरकारी कर्मचारी से लेकर आम जनता, यहाँ तक कि प्रधान को भी नहीं मालूम जिसे गाँव के विकास की सबसे ज्यादा जानकारी रहती है । जिसे हमेसा गांव में ही रहना है । जो गांव वासियों के साथ हमेसा रहता है। जिसे तीसरी पंचायत का मुखिया कहा जाता है। उसने बी.आर.जी.एफ. का नाम ही नहीं सुना है । जब मैं चंदौली और आजमगढ़ जिले में बी.आर.जी.एफ. के तहत पर्सपेक्टिव प्लान बनाने के लिए (सूचना एकत्रित करने, कार्यशालाओं का आयोजन करने, डीपीटी, बीपीटी, वीपीटी का गठन करने) गया तो अपर मुख्य अधिकारी, इंजीनियर, बीडीओ, सीडीओ, वा अन्य विभागों के जिले स्तर के अधिकारी जैसे - शिक्षा, स्वास्थ, बाल विकास आदि के अधिकारी पूछने लगे कि इस बी.आर.जी.एफ. का मकसद क्या है? इससे इतना पैसा आता है कि वह पैसा कहाँ खर्च किया जायेगा? जिले के विकास के लिए तो पहले से ही हर विकास के लिए अलग- अलग विभाग बना दिए गए हैं। तो फिर इसका क्या मतलब है ? क्या विभागों से अब काम नहीं करवाया जायेगा ? क्या यह काम केवल पंचायतों से ही करवाया जायेगा ?

जिन्हें सारा काम करना है उन्हें ही नहीं मालूम कि इसमें कौन- कौन से काम शामिल किये जायेंगे । कौन -कौन से काम कराना है ? और कौन से नहीं ? यहाँ तक कि अपर मुख्य अधिकारी भी मुझसे पूंछने लगे कि आप ही बताइए कि इसके तहत कौन - कौन से कार्य कराये जायेंगे ? तो मैंने पूंछा कि आप लोग २००७ से पैसा बराबर खर्च करते चले आ रहे हैं । अब २००९ में हमसे पूंछ रहे हैं कि पैसा किन कामों में खर्च किया जायेगा ? तो उनका जवाब था कि हम लोंगो को इसकी पूर्ण जानकारी नहीं है। हम लोग केवल कार्य का प्रस्ताव बनाकर भेज देते हैं बस । बाकी उसकी मंजूरी का अधिकार, कौन काम लेना है , कौन काम नहीं लेना है , मंत्री जी करते हैं । जब मैंने पूंछा कि आप लोग कैसे बजट तैयार करते हैं, किस तरह के कामों का चुनाव करते हैं, क्या यह काम ग्राम पंचायत , क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत , नगर पालिका परिषद् की मीटिंग करके ? तो उन्होंने बताया कि हम लोग अपनी - अपनी विकास संबंधी योजना का निर्माण अपने आप कर लेते । उसके बाद जिले की समिति को भेज दिया जाता है । अब उनकी मर्जी है किसे रखते हैं , किसे हटाते हैं । इसी तरह डीपीटी गठन के लिए मुख्य विकास अधिकारी चंदौली के मीटिंग हाल में एक कार्यशाला बुलाई गयी । इस कार्यशाला में अधिकारीयों को बी.आर.जी.एफ. के विषय में बताया गया । सबसे बड़ी बात जो निकल के आयी -किसी भी अधिकारी को अपने विभाग के अलावा दूसरे विभागों की जानकारी नहीं थी । इसका सीधा सा जवाब था - विभागों का आपस में समन्वय का ना होना । जब विभागों का समन्वय आपस में नहीं है तो वो आपस में फूट चलती है । एक दूसरे से दुश्मनी रखते हैं तो वो विकास कैसे कर सकते हैं ? इसीलिये किसी योजना की जानकारी सभी लोंगो को मालूम होना चाहिए ।

मेरी सोच -
मेरी सोच यह है कि हम विकास किसके लिए चाहते हैं ? लोगों के लिए या अपने लिए ? यह सवाल सबसे बड़ा है ।अगर हम यही तय नहीं कर पाते कि विकास किसको चाहिए, तो चाहे जितनी योजनायें, कानून चलायें जाएँ और विकास के नाम पर अरबों रुपये पानी की तरह बहायें जाएँ , उसका कोई फायदा नहीं होगा । हाँ इतना जरूर होगा कि गरीबी लाचारी बढ़ती जायेगी और लाचार बनाने वाले सरकारी नौकर सीसे के महलों में रहने लगेंगे । इसलिए मेरा यह कहना है कि - जब भी विकास की बात की जाये तो वह आम आदमी जिसके लिए आप विकास करना चाहते हैं , वही तय करे कि मुझे सबसे पहले यह विकास चाहिए । उसकी भागेदारी, उसके अनुसार यदि काम होगा, योजनायें बनेगीं, तभी विकास संभव है और पैसे का सही सदुपयोग होगा ।


*Photo by Dinesh Chandra Varshney for Bharat nav nirman only

1 comment:

Unknown said...

that's why education is very important. Our village people are not aware about their rights. "Soochna ka adhikaar" is there and every one is eligible to ask any relevent query from any department but still there are a lot og gap between government and people.