Wednesday, September 2, 2009

मुखिया रामदीन


Written By : रजनीश शुक्ला ,रीवा (म. प्र.)

गांवों की पंचायती राज व्यवस्था की पोल खोलता एक व्यंग्य इसमें मुखिया रामदीन को एक ऐसे दीमक के रूप में चित्रित किया गया है जो गांव की संस्कृति को चट कर रहा है

मुखिया रामदीन मानवाधिकार के सिद्धांतों को नहीं मानते उनका मानना है कि मानवाधिकार वाले सामाजिक प्राणी नहीं होते वे कहते हैं ये मानवाधिकार वाले बड़ी बड़ी किताबें पढ़कर कानून बना देते हैं अगर ये सामाजिक जीव होते तो ऐसे नियम कतई न बनाते जिनसे समाज कि नब्ज पर पकड़ कमजोर पड़ती हो यह बात सच है क्योंकि मुखिया रामदीन सामाजिक मामलों के विशेषज्ञ हैं मध्य भारत के विंध्यांचल पर्वत की गोद में बसे एक गाँव के उद्धार का ठेका उन्होंने तभी से ले लिया जब गांव के जमींदार और बुजुर्ग होने के नाते मुखियापद का भर उन्हें सौंपा गया ऐसा नहीं है कि आधुनिकता से उन्हें कोई परहेज है बस यह आधुनिकता समाज के लोंगों को इतना प्रभावित न कर दे कि उनके निर्णयों का प्रभाव कम हो जाये उन्होंने हमेसा से ही टेलीविजन का विरोध किया है वे कहते हैं इससे लोग जागरूक कम और गुमराह ज्यादा होते हैं गाँव की पंचायतों में सुनायी जाने वाली सजा का पक्ष लेते हुए वे कहते हैं शहरी अदालतें शहर और गाँव के आदमी के बीच में फर्क नहीं समझतीं और एक सा निर्णय सुना देती हैं जो उचित नहीं है जिस तरह गांव और शहर में फर्क है उसी तरह सजा में फर्क होना लाजिमी है गांव के लोग मेहनती व कठोर होते हैं इसलिए सजा भी उनके लिए कठोर होनी चाहिए गांव वालों को जिस तरह अपने भले बुरे का फर्क समझ में नहीं आता उसी तरह सजा चाहे कम हो या ज्यादा उन्हें फर्क नहीं पड़ता मुखिया रामदीन कि ख्याति अब केवल अपने गांव तक ही सीमित न रही पडोसी गांवों में भी उनके कम के तौर तरीकों की खूब चर्चाएँ होने लगी आखिर उन्हें एक आधुनिक गांव की पंचायत का एक पत्र मिला पत्र में लिखा था यों तो हमारे गांव में आधुनिकता का विकाश हुआ है पर हमारे गांव कि पंचायत आपके गांव की पंचायत की तरह सक्षम नहीं है और कई मामलो में निर्णय नहीं ले पाती इस वजह से ग्रामीण जन पंचायत के खिलाफ सच बोलने का साहस दिखा रहे हैं यही नहीं वे मामले कि गंभीरता के अनुसार शहरी अदालतों तक पहुँच जाते हैं आपसे अनुरोध है कि आप हमारें गांव आकर यहाँ की पंचायत में सक्षमता लायें पत्र से प्रभावित होकर मुखिया रामदीन ने आधुनिक गाँव का निमंत्रण फ़ौरन स्वीकार कर लिया नए गांव पहुचते ही उन्होंने सबसे पहले पंचायत में सरकारी शराब की दुकान खोलने का प्रस्ताव रखा इस पर एक पंच ने कहा शराब पीने से तो लोग और भी अकर्मण्य और बेकार हो जायेंगे सारे पंच लोग मुखिया रामदीन की ओर उत्सुकता से देख रहे थे की वे इसका क्या जवाब देतें हैं मुखिया रामदीन ने समझाया देखो यदि लोग शराब पियेंगे तो घर में खाने को नहीं होगा घर में खाने को नहीं होगा तो लोग काम करेंगे जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो
आखिर आधुनिक गांव कि पंचायत ने शराब कि दुकान का प्रस्ताव पारित कर दिया कुछ ही दिनों में इस निर्णय का प्रभाव देखने को मिला लोग सचमुच काम की गुहार लिए साहूकारों के घर के बाहर कतार लगाने लगे काम न मिलने पर आधी मजूरी में ही काम करने को तैयार मिले नए गांव कि पंचायत मुखिया रामदीन कि इस सूझ-बूझ से चकित थी इस महान विभूति के दर्शन के लिए जन समूह उमड़ पड़ा कि आखिर वह कौन है जो लोंगों को शराबी बनाकर उनमे कर्मठता ला देता है मुखिया रामदीन ने जन समूह को बताया कि हमारे गांव में कम मजदूरी में भी कामगीरों की कोई कमी न होने का यही रहस्य है पंचायत की अगली बैठक में मुखिया रामदीन का आसन अपेक्षाकृत ऊँचा था सभी पंच आपस में खुसुर फुसुर कर रहे थे कि इस बार उनकी बुद्धि की तरकस से कौन सा तीर निकलेगा तभी एक अधेड़ सी उम्र का आदमी कुछ साहस जुटाकर बोला कि शराब पीने से घरों में कलह पैदा हो गया है आदमियों द्वारा औरतों पर मारपीट की घटनाएँ हो रही हैं घर के लोगों में तनाव इस तरह बढ़ गया है की लोग रात रात भर सो नहीं पाते मुखिया रामदीन के लिए यह एक परीक्षा की घड़ी थी सभी लोग उनकी तरफ उत्सुकता से देख रहे थे
मुखिया रामदीन बोले कलह और मारपीट की घटनाएँ होने से लोग आये दिन पंचायत की बैठक बुलाकर न्याय की गुहार लगाते हैं लोगों का पंचायत के प्रति विश्वास बढा है जो कि एक अच्छा संकेत है सभी पंच लोग मुखिया रामदीन की इस तर्क शक्ति से प्रभावित हुए मुखिया रामदीन आंगे बोले पर अनिद्रा के रोग का भी उपाय है निंदा रस गांव के किसी भी व्यक्ति की जी भर कर निंदा कीजिये बढा चढा कर कीजिये आत्मिक संतुष्टि मिलने तक कीजिये यह औषधि अनिद्रा रोग के लिए रामबाण है चाहे कोई जिन्दगी से कितना भी परेशान क्यूँ न हो निंदा रस की खुराक लेने के बाद उसे गहरी नीद आना तय है एक पंच ने रामदीन के चरण पकड़ लिए वह बोला गुरुदेव आप कहाँ थे मैं सदैव आपके श्री चरणों में पड़ा रहना चाहता हूँ मुखिया रामदीन ने समझाया हमारे गाँव में लोंगों के अच्छे स्वास्थ का यही कारण है तुम लोग भी यह फार्मूला सीख लो फिर देखो लोगो के स्वास्थ में कैसे सुधार होता है इसी तरह कुछ दिन और बीते तब मुखिया रामदीन को लगा की उनका आधा काम तो हो चूका है बस यहाँ कि पंचायत को यह प्रशिक्षण देना बाकी है कि लोंगों पर निर्णय जबरन किस तरह लादें गांव का एक कुलीन लड़का किसी अनपढ़ लडकी से प्रेम का वास्ता देकर विवाह करना चाहता था लड़के के घर वालों को यह मंजूर नहीं था घर वालों ने लड़के को अपनी तरफ से समझाने कि पूरी कोशिश की लड़का एजुकेटेड था उसने अपनी मर्जी का जीवन साथी चुनने को अपना हक़ बताया आखिर बात पंचायत तक पहुँची मुखिया रामदीन ने नमूने के तौर पर इस केस की सुनवाई का फैसला किया उन्होंने कहा गाँव के चार-पांच ऐसे लड़के बुलाये जांय जो चोरी करते हों ,जुआरी और शराबी हों अगले दिन पांच नौजवान मुखिया रामदीन के सामने लाये गए वे नौजवानों को देख बहुत प्रशन्न हुए उन्होंने नौजवानों से पूंछा कि तुम्हारा अमुक लड़की के साथ प्रेम सम्बन्ध है कि नहीं नौजवानों ने कहा साब! हम इस लड़की को जानते तक नहीं प्रेम सम्बन्ध तो बहुत दूर की बात है मुखिया रामदीन पर नौजवानों के जवाब से कोई फर्क नहीं पड़ा उन्होंने पुनः पूंछा लड़की को जानते नहीं सो तो ठीक है पर तुम्हारा उससे प्रेम सम्बन्ध है कि नहीं । पास में खडा पंच की हैसियत का एक व्यक्ति मुखिया रामदीन कि इस तर्क शक्ति से बहुत प्रभावित हुआ पांचो नौजवान हँसे और उन्हें लगा कि यह जिरह कर रहा व्यक्ति पागल है मुखिया रामदीन ने अपना रवैया बदलते हुए कड़े शब्दों में कहा हंसो मत ! तुम लोंगों ने जितनी चोरियां की हैं सब की खबर है अगली पंचायत की बैठक में तुम सबको गांव से निकालने का आदेश सुनाया जा सकता है नौजवान घबरा गए मुखिया रामदीन के पैर पकड़ कर गिडगिडाने लगे हमें गांव में रहने दिया जाय मुखिया रामदीन थोड़े शांत होकर बोले तो तुम लोग यह मानते हो की तुम्हारे उस अमुक लडकी से प्रेम सम्बन्ध हैं नौजवान बोले देखो साब!उस लडकी का हम सभी से साल दो साल से चक्कर चल रहा है मुखिया रामदीन मुस्कुराकर बोले बहुत खूब ! बस तुम लोंगों को यही बात कल के पंचायत में बोलनी है पास में खडा पंच बेहोस हो गया होश आने पर मुखिया रामदीन के चरणों से लिपटता हुआ बोला-हे महापुरुष आप इतने दिनों तक कहा थे मैंने अपने जीवन में आप जैसा महान्याई कभी नहीं देखा मुखिया रामदीन ने कहा चलो हटो पैर छोडो और मुझे कल की पंचायत की रूपरेखा तय करने दो एक पंच ने मुखिया रामदीन से कहा हुजुर हमारी तो बड़ी आफत है गांव के भले लोग आकर कहते हैं कि जब लड़का और लड़की शादी के लिए तैयार हैं तो पंचायत को क्या परेशानी है यह बात हमारे गले भी किसी तरह नहीं उतरती कि दोनों कि जिन्दगी क्यूं बर्बाद की जाय मुखिया रामदीन बोले -उन सभी भले लोंगों से कह दो जो कुछ हो रहा है सब ऊपर वाले कि मर्जी से हो रहा है यह उनका भाग्य है पंचायत भी उसी तरह का निर्णय सुनाती है जैसा ऊपर वाला चाहता है हम सब तो माध्यम मात्र हैं यह भाग्य के कारण का जुमला इन गांव वालों को सिखा दो हमारे गांव में लोग इस फार्मूले को अपनाकर सब कुछ ईस्वर के भरोसे छोड़ कर हाथ में हाथ धरे बैठे रहते हैं बड़ा सा बड़ा नुकसान होने पर भी ईस्वर कि मर्जी मानकर संतुस्ट रहते हैं हमारे गांव कि खुशाली का यही रहस्य है अगले दिन पंचायत में मुखिया रामदीन ने नौजवानों के बयानों को आधार बना कर फैसला सुनाया कि यदि लड़का इस लड़की से विवाह करता है तो लड़के की बहन का रिश्ता जो की गांव के किसी लड़के तय किया जा चुका है ,टूटा माना जायेगा साथ ही लड़के के माँ बाप को यह गांव छोड़ कर जाना होगा पंचायत ख़त्म हो चुकी थी लोग अपने-अपने घर वापस जा चुके थे अगले दिन पंचायत की आपातकालीन बैठक बुलाई गयी मुखिया रामदीन को नहीं बुलाया गया बैठक में पंच लोग चिल्ला रहे थे- सारे पढ़े लिखे लोग गांव छोड़ कर जा रहे हैं गांव से आधुनिकता गायब हो रही है गरीबी और लाचारी बढ़ती जा रही है लोगों के बीच में कलह इतना बढ़ गया है कि आये दिन मारपीट की घटनाएं हो रहीं हैं अगले दिन आधुनिक गांव के सरपंच ने मुखिया रामदीन को बुलाया मुखिया रामदीन ने देखा कि वो काफी परेशान थे लगता है कई रातों से सोये नहीं हैं गांव के मुखिया ने रामदीन से हाँथ जोड़ कर कहा - आपने हमारे गांव आकर अपनी सेवाएँ प्रदान कीं इसके लिए हम आपके बहुत आभारी हैं हम आपको अपना हितैषी समझते थे पर आपने हमारे साथ शत्रुवत व्यवहार किया है हमारे आधुनिक गांव कि रौनक आधी खत्म हो चुकी है आप कुछ दिन और यहाँ रहे तो पूरी तरह नष्ट हो जायेगी सारे पढ़े लिखे लोग गांव छोड़ कर जा रहे हैं गांव से आधुनिकता गायब हो रही है गरीबी और लाचारी बढ़ती जा रही है लोगों के बीच में कलह इतना बढ़ गया है कि आये दिन मारपीट की घटनाएं हो रहीं हैं कृपया करके आप अपने गांव वापस लौट जाईये और कभी दुबारा इस गाँव में कदम न रखें मुखिया रामदीन रात होते ही अँधेरे में अपना सामान उठाकर अपने गांव वापस लौट आये